पुवितर आत्मा सई तरियाऊँ बोले हे के, थोड़ाक टेम का केड़े थोड़ाक मनक विस्वास करणो छोड़ देई, वीं भटकाबाळी आत्मा की जूटी हिक ने मानी अन जूटी आत्मा का क्या में रेई।
ईं हिकबावाळा यन्नेस अन यमब्रेस का जस्यान हे, जणा मूसा को विरोद किदो हो, वस्यानीस ईं मनक हाँच को विरोद करी, ईं अस्यान का मनक हे जणाकी अकल मरगी हे अन ईं विस्वास में ने बण्या रे सकी।
काँके मसी ने मानबाऊँ पेल्याँ आपाँ भी बना ग्यान का, केणो ने मानबावाळा, भटक्या तका अन हरेक तरियाँ की मो-माया का गुलाम हाँ। आपणो जीवन बुरई अन मेपणाऊँ भरियो हे। अन आपाँ एक-दूजाऊँ दसमणी राकता हाँ।
अन जद्याँ ईं मनक छुटकारो देबावाळा परबू ईसू मसी का बारा में जाणबा का केड़े भी अन ईं दनियाँ की बुरई मेंऊँ निकळबा का केड़े पाच्छा वीं बुरई में जावे हे तो वणा मनकाँ के दसा पेलाँ की दसाऊँ भी हेली बुरी वेई।
वो पेला डरवाणा जनावर का हकऊँ चमत्कार बतातो हो। वो धरती पे रेबावाळा मनकाँ ने भरमातो अन बोलतो हो के, जीं पेला जनावर के तरवारऊँ घाव व्यो हो, वो ठीक वेग्यो हे, थाँ वींकी मूरत बणावो, ताँके वींने मान मले।
नेई थाँरा में कदी पाछो दिवा का उजितो वेई, अन नेई बींद बिदणी की अवाज हुणई देई। काँके थाँरा लेण-देण करबावाळा वोपारी धरती का परदान हा, अन थाँरा में जी जादु-टोना टोटका व्या करता हा, वणाऊँ हारी जात्या ने भटकई गी ही।