ईं वाते देको, मूँ थाँका नके परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन अकलमन्द अन गरुवा ने खन्दाऊँ हूँ अन वणा मूँ करता ने तो मार नाको अन हूळी चड़ावो, अन किंने आपणाँ परातना घर में कोड़ा मारो अन एक नगरऊँ दूजाँ नगर दोड़ता फरो हो।
माँ आ बात मेपणोऊँ अन साप हरदाऊँ के सका हाँ के, माँ ईं दनियाँ का हाते अन खासतोरऊँ थाँका हाते परमेसर की दया के जस्यान चाल्या हा अन हव तरियाऊँ अन हाँच का हाते चाल्या हा ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ मले हे ईं दनियाँ की अकलऊँ ने मले हे।
कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे, वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो, पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो, अन हरग-दुत जिंने देक्यो, देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो, दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो, अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।
मूँ ईसू मसी का नामऊँ थरप्यो तको परमेसर को दास पोलुस, ओ कागद तीतूस ने लिकरियो हूँ। मने परमेसर का चुण्या तका मनकाँ ने विस्वास में बडाबा का वाते खन्दायो हे, जणीऊँ वीं हाँच ने जाणन हाँचो जीवन जीवे।
जद्याँ ईं हारी चिजाँ नास वेबावाळी हे तो थाँ होचो थाँने कस्यान को जीवन जीवणो छावे? थाँने पुवितर जीवन जीवणो छावे, काँके पुवितर जीवन परमेसर ने हव लागे हे।
वणी आपणाँ पूँछऊँ फळेटो मारन आकासऊँ एक तीहाई तारा ने रेटे फेंक दिदा। अन वो वीं लुगई का हामे ज्या बाळक जनमबा वाळी ही ऊबो वेग्यो जणीऊँ जद्याँ वाँ बाळक जनमे तो वो वींने निगळजा।
में वणीऊँ क्यो, “हे मालिक, थाँ तो जाणोई हो।” तो वणा माराऊँ क्यो, “ईं वीं मनक हे जी कळेस जेलन आया हे अन अणा आपणाँ गाबा ने उन्याँ का लुईऊँ धोन धोळा किदा हे।