जद्याँ पोलुस अन बरनबास वाकाँऊँ बात-बच्यार किदी अन वाँका में लड़ई वेगी, तो ओ चुण्यो के, पोलुस अन बरनबास अन वाँका मूँ थोड़ाक मनक ईं बात को फेसलो करबा का वाते आपणाँ थरप्या तका अन बड़ाबा नके यरूसलेम जाई।
तद्याँ सबा में लड़ई वेगी, अन कुई मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा जो फरीसी हा, ऊबा वेग्या अन ओ केन लड़ई करबा लागा के, “माँ ईं मनक में कई दोस ने पावाँ, अन तद्याँ कुई आत्मा कन हरग-दुत अणीऊँ बात किदी, तो पछे ओ सई हे।”
किंका पे थाँको ओळमो वे तो एक-दूँजा ने सेण करता तका अन एक-दूँजा ने माप कर दो। जस्यान परमेसर थाँने माप करे हे वस्यानीस थाँने भी एक-दूँजा ने माप करणा छावे।
पण जस्यान बई आपणाँ बाळकाँ को पालण करे हे वस्यानीस नरमाई को वेवार माँ थाँका हाते राक्यो हे, ने तो माँ मसी का काम का वाते थरप्या तका को हक लगान थाँका पे बोज नाक सका हाँ।
मूँ ईसू मसी का नामऊँ थरप्यो तको परमेसर को दास पोलुस, ओ कागद तीतूस ने लिकरियो हूँ। मने परमेसर का चुण्या तका मनकाँ ने विस्वास में बडाबा का वाते खन्दायो हे, जणीऊँ वीं हाँच ने जाणन हाँचो जीवन जीवे।
परमेसर का काम ने आपणाँ हाताँ में लेबा का वाते एक मण्डली का परदानाँ में ओ जरूरी हे के, वींमें एक भी खोट ने वेणी छावे। वीं ने तो घमण्डी वेवे, ने फटाकऊँ गुस्सो करबावाळा वेवे, नेईं पियावाळा, ने लड़ायाँ करबावाळा अन नेई रिप्या-कोड़ी का लालची वेवे।
वीं भी हाँचा बचना पे टक्या तका रेवे, जीं धरम-उपदेस का जस्यान सई हे। जणीऊँ वाँने खरी हिक का उपदेस देबा में अन विरोद करबावाळा को मुण्डो बन्द करबा में मदत मले।
पण ज्यो ग्यान हरगऊँ आवे हे वो हाराऊँ पेल्याँई तो पुवितर वेवे अन वींके केड़े सान्तीऊँ भरियो तको, सेण करबावाळो, बात मानबावाळो, दयाऊँ भरियो तको, हव फळवाळो अन बना पकसपात को अन बना कपट को वेवे हे।
थाँ मनसा तो राको हो, पण थाँने मले कोयने। ईं वाते थाँ हत्या करो हो अन थाँ जलन राको हो। पछे भी थाँने कई ने मले, जणीऊँ थाँ लड़ई-जगड़ो करो हो। थाँने थाँकी मनसा की चिजाँ ईं वाते ने मले, काँके थाँ परमेसरऊँ कोयने मागो हो।
मारी आकरी मरजी हे के, थाँ हाराई मनक एक मन रेवो अन थाँ हाराई ने मनकाँ का हाते मेल-मिलाप, भईचारा, दया करबावाळा अन भायाँ का हाते परेम-भावऊँ रेबावाळा बणणो छावे।
हो लाड़ला भायाँ, मूँ तो घणो छावतो हो के, थाँने वीं छूटकारा का बारा में लिकूँ, जिंका आपाँ पांतीदार हा। मने अस्यान भी लागे हे के, मूँ थाँने ईं बाताँ लिकन हिम्मत देऊँ जणीऊँ थाँ विस्वास में बड़ता रेवो, ज्यो विस्वास परमेसर का पुवितर मनकाँ ने दिदो ग्यो हो।