अन वाँ मनगड़त केण्याँ अन वंसावल्या पे मन ने लगावे, ज्यो लड़ई-जगड़ो करावे हे अन परमेसर की वीं मरजी ने पुरी ने वेवा देवे हे, ज्या खाली विस्वासऊँ पुरी वे सके हे।
थाँरा मनकाँ ने, ईं बाताँ आद अवाड़ अन परमेसर का हामे चेतान केज्ये के, फोगट की बाताँ पे ने लड़े। अस्यान करणो हव ने हे, काँके वीं बाताँ हूणबावाळा का वाते नास की जड़ हे।