हो विस्वासी भायाँ, जद्याँ माँ थाँका हरदाऊँ ने पण देहऊँ थोड़ीक देर का वाते छेटी व्या हा, तो माँने थाँकी घणी आद अई हे अन थाँकाऊँ पाच्छा मलबा की माँ घणी कोसीस कररिया हाँ।
काँके ज्यो उन्यो गादी का बचमें में हे वो वाँकी रुकाळी करी। अन वो वाँने जीवन देबावाळा पाणी की सोता का नके लेन जाई अन परमेसर वाँकी आक्याँ का हाराई आसूँ पुछ देई।”