में घणी मेनत किदी हे अन दुक का हाते जीवन जिदो हे। नरी दाण तो मूँ हूँ भी ने सक्यो। अन नरी दाण तो भुको-तरियो भी रियो हूँ, नरी दाण तो ठन्ड में बना गाबा के धूजतो रियो हूँ।
जद्याँ मूँ थाँका नके हो तो मने कमी वीं हे तद्याँ भी में थाँका पे कई बोज ने नाक्यो, काँके मारा भायाँ मकिदुनियाऊँ आन मारी वणी कमी ने पुरी किदी हे। में हरेक दाण खुद ने थाँका पे बोज बणाबाऊँ रोक्यो, अन आगे भी रोक्यो रेऊँ।
हो भायाँ-बेना, थाँ माँकी मेनत अन दुक ने आद राको हो ज्यो थाँका बचमें व्यो हो अन माँ रात-दन काम धन्धो करन थाँने परमेसर को हव हमच्यार हुणायो जणीऊँ थाँका पे कई बोज ने पड़े।