“हो कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ पोदिनो अन सोप, अन जीरा को दसमो हिस्सो तो देवो हो, पण थाँ नेमा की खास बाताँ ने छोड़ देवो हो। जस्यान के दया, अन विस्वास अन न्याव ने छोड़ दिदो हे। पण अणीऊँ तो ओ हव हो के, थाँ अणा खास बाताँने ने छोड़ता अन वणा ने भी करता रेता।
तो वटने यहूदियाँ, जानी-मानी लुगायाँ जणी यहूदी धरम ने मान लिदो हो अन नगर का मुक्या ने उकसाया, तो वे पोलुस अन बरनबास पे अन्याव करन हताबा लागा अन दरपाता तका जोरावरीऊँ वाँने आपणाँ अटूँ बारणे निकाळ दिदा।
पण यहूदियाँ थोड़ाक फोगट्या मनकाँ ने आपणाँ आड़ी मला लिदा, अन भेळा वेन नगर में धामा-चोकड़ी मचाबा लाग्या अन वाँने हंगळा के हामे लाबा वाँते यासोन का घर पे हमलो कर दिदो।
जद्याँ इपिसुस नगर में मनक जंगली जनावराँ का जस्यान मारे हाते लड़्या तो मने कई मल्यो? अन यद्याँ मरिया तका पाच्छा जीवता ने वेवे, “तो आवो आपाँ खावा-पीवाँ, काँके काले आपाँने भी मरणोइस हे।”