अन हनन्या निकळग्यो अन वीं घर मयने ग्यो अन साउल पे आपणो हात मेल्यो अन क्यो, “भई साउल, परबू ईसू मने खन्दायो हे, जो थने गेला में दिकई दिदा हा, ताँके थूँ पाछो देकबा लाग जावे अन पुवितर आत्माऊँ भर जावे।”
परमेसर की वीं दया के जस्यान, ज्यो मने दिदी गी हे, में एक हूँस्यार कारीगर के जस्यान नीम नाकी, पण वींपे सणई करबावाळो तो कुई ओरी हे। पण हरेक मनक ने ध्यान राकणो हे के, वीं कस्यान काम कररिया हे।
पण ज्यो ग्यान हरगऊँ आवे हे वो हाराऊँ पेल्याँई तो पुवितर वेवे अन वींके केड़े सान्तीऊँ भरियो तको, सेण करबावाळो, बात मानबावाळो, दयाऊँ भरियो तको, हव फळवाळो अन बना पकसपात को अन बना कपट को वेवे हे।
ईं वणा मनकाँ की आत्मा हे, जणा जद्याँ नूह नाव बणारियो हो वीं टेम परमेसर को केणो ने मान्यो, पण परमेसर धिज्या का हाते वाँकी वाट नाळरिया हा, वीं टेम भी नाव में आट मनकईस पाणीऊँ बंचाया ग्या हा।
जणीऊँ थाँ वीं बाताँ ने जी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा पुवितर मनकाँ पेल्याँई क्यो हो, वाँने थाँ आद कर सको अन आपणाँ छुटकारो देबावाळा परबू ईसू मसी की आग्या ने, अन जो थाँका खासतोर थरप्या तका चेला थाँने जो आग्या दिदी ही, वाँको थाँ ध्यान कर सको।
परबू आपणाँ वादा ने पूरा करबा में देर ने लगावे, जस्यान नरई मनक होचे हे। पण परमेसर आपणाँ वाते धीरज राके हे, काँके वो किंने भी नास करणो ने छावे हे। पण वो छावे हे के, हाराई मनक आपणाँ मन ने पापऊँ अलग करन मन फेरे।