12 अन वीं दन की वाट नाळणी छावे, जीं दन परमेसर न्याव करी। वीं दन ने लाबा का वाते कोसीस करणी छावे। वीं दन के आताई आकास वादी की लपटाऊँ बळन नास वे जाई अन आकास की चिजाँ वादी की तपतऊँ पिगळ जाई।
मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, ज्यो अटे ऊबा हे, वाँका मूँ कुई अस्या हे के, वीं जद्याँ तईं मनक का पूत ने वींका राज में आता तका ने देक लेई, जद्याँ तईं वाँने मोत ने आई।”
परमेसर को दन चोर का जस्यान अणाचेत को आई। परबू के पाच्छा आबा का दन आकास जोरऊँ गाजी अन नास वे जाई अन आकास पिंड जो आकास में हे वाँ हेली उनी वेन पिगळ जाई अन ईं धरती पे जो कई भी हे, वो भी बळ जाई।
जद्याँ ईं हारी चिजाँ नास वेबावाळी हे तो थाँ होचो थाँने कस्यान को जीवन जीवणो छावे? थाँने पुवितर जीवन जीवणो छावे, काँके पुवितर जीवन परमेसर ने हव लागे हे।
अन केई के, “अरे कई व्यो ईसू मसी के पाच्छे आबा का वादा को? काँके आपणाँ बड़ाबा तो मरग्या। अन जद्याँऊँ ईं धरती की रचना वीं हे, तद्याँऊँ आ धरती वस्यान की वस्यान चालती आरी हे।”
पण आज जा धरती अन आकास आपाँ देकाँ हा, वींके आग्या का वजेऊँ वादीऊँ नास वेबा वाते ठमी तकी हे। ईंने वीं टेम का वाते ठाम मेली हे, जद्याँ तईं पापी मनकाँ को न्याव ने जावे अन वाँको नास ने कर दिदो जावे।