काँके यहुन्नो बतिस्मो देबावाळो धरम को गेलो बतातो तको थाँका नके आयो अन थाँ वींपे विस्वास ने किदो, पण कर लेबावाळा अन वेस्या वींपे विस्वास किदो अन पछे भी थाँ ओ देकन पापऊँ मन ने फेरिया अन ने वींको विस्वास किदो।”
जणीऊँ थाँ वीं बाताँ ने जी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा पुवितर मनकाँ पेल्याँई क्यो हो, वाँने थाँ आद कर सको अन आपणाँ छुटकारो देबावाळा परबू ईसू मसी की आग्या ने, अन जो थाँका खासतोर थरप्या तका चेला थाँने जो आग्या दिदी ही, वाँको थाँ ध्यान कर सको।
हो लाड़ला भायाँ, मूँ तो घणो छावतो हो के, थाँने वीं छूटकारा का बारा में लिकूँ, जिंका आपाँ पांतीदार हा। मने अस्यान भी लागे हे के, मूँ थाँने ईं बाताँ लिकन हिम्मत देऊँ जणीऊँ थाँ विस्वास में बड़ता रेवो, ज्यो विस्वास परमेसर का पुवितर मनकाँ ने दिदो ग्यो हो।