“ईसू वाँने क्यो, मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ दनियाँ की धन-दोलतऊँ आपणाँ वाते यार-दोस्त बणई लो, काँके जद्याँ धन-दोलत खतम वे जाई। तो वी अनंत घर में थाँकी आवभगत करी।
अन यद्याँ थाँ भी थाँकी परातना में माँने आद करन मदत किदी तो जीं मनक माकाँ वाते अरज करे हे के, माकाँ पे परबू की दया वे, अन परमेसर ज्यो माकाँ वाते किदो हे वींका वाते वणा मनकाँ ने भी धन्नेवाद देबा को मोको मल जाई।
काँके थाँकी ईं सेवाऊँ वीं परमेसर ने मेमा देई, अन अणीऊँ ओ दिके हे के, थाँ मसी का हव हमच्यार ने मानन वींके गलेइस चालो हो अन वाँकी अन हाराई ने मदत करबा का वाते खुला मनऊँ दान देवो हो।