10 परमेसरइस बीज बावावाळा ने बीज अन खाणो खाबावाळा ने रोटी देवे हे। वींइस थाँने बीज देई अन वींइस मोटा करी, वाँकाऊँईस थाँकी धरम की खेती फलती-फुलती रेई।
“ध्यान राकज्यो के, थाँ लोगाँ का हामे मोटा बाजबा का वाते दान-पन मती करो, ने तो थाँ थाँका हरग का परम बापऊँ भी फळ ने पावो।
दानकी पुवितर सेवाऊँ बेस परमेसर का पुवितर मनकाँ किइस जरूत पुरी ने वेवे हे पण परमेसर ने धन्नेवाद देबा को भाव भी मनकाँ में आवे हे।
थाँने मूँ एक बात बताऊँ हूँ के, ज्यो थोड़ोक वावे हे वो थोड़ोकइस काटे हे अन ज्यो हेलो वावे हे, वो हेलो काटी।
परमेसर जणा थाँने आत्मा दिदी हे अन थाँका बचमें अचम्बा का काम करे हे, कई वीं यो ईं वाते करे हे के, थाँ मूसा का नेमा को पालण करो हो कन ज्यो हव हमच्यार थाँ हुण्यो अन विस्वास किदो वींके मस करे हे?
काँके उजाळा को फळ हाराई तरियाँ की भलई, ज्यो परमेसर छावे वो करणो अन हाँच हे।
परमेसर की बड़ई अन मेमा के वाते थाँको जीवन ज्यो परमेसर छावे वो करबावाळा हव गुणऊँ भर जावे ज्याँने ईसू मसी देवे हे।
ओ ने के, मूँ दानकी आस राकूँ हूँ, पण मूँ ओ छावूँ हूँ के, थाँका खाता में आसीस जुड़तो जावे।
परबू करे, जस्यान माँको परेम थाँका वाते हे वस्यानीस थाँको परेम एक-दूँजा में अन हाराई मनकाँ का हाते रात-दन बड़तो जावे।
जस्यान हाराई मकिदुनिया का भायाँ का हाते थाँ परेम राको भी हो, पण माँ थाँकाऊँ अरज करा हाँ के, ईंमें ओरी भी बड़ता जावो।