17 “ईं वाते परबू केवे हे के, थाँ वणाऊँ न्यारा वेन बारणे निकळो, वणाऊँ खुद ने छेटी करो अन ज्यो खराब हे वींके कदी भी हात मती अड़ाज्यो तद्याँईस मूँ थाँने अपाणाऊँ।
पतरस नरई बाताँ केन गवई देन अन अरज करन क्यो, “ईं खराब पिड़ीऊँ खुद ने बंचान राको।”
परमेसर की बड़ई करबा का वाते एक दूजाँ ने अपणा लो, जस्यान मसी थाँने अपणाया हा।
हो मारा प्यारा भायाँ, आपणाँ नके परमेसर को दिदो तको करार हे। ईं वाते थाँ आवो, अन परमेसर को मान करता तका खुद ने पुवितर करबा का वाते खुद की आत्माने अन देह ने मयनेऊँ अन बारणेऊँ हुगली चिजाँऊँ पुवितर करो।
मने हरगऊँ एक ओरी अवाज अस्यान आती तकी हुणई दिदी के, मारा मनकाँ वटेऊँ बारणे आ जावो थाँ वाँके पापाँ का हाते भोगी मती बणो, काँके कटे अस्यान ने वेजा वे के, वींपे पड़बावाळी तकलिप थाँका पे भी पड़ जावे।