“वींके मालिक वणीऊँ क्यो, ‘धन हे हव अन विस्वास जोगा दास, थूँ थोड़ा में विस्वास जोगो रियो। मूँ थने नरई चिजाँ को हकदार बणाऊँ। आपणाँ मालिक का घर में जान खुसी मना।’
वींके मालिक वणीऊँ क्यो, ‘धन हे हव अन विस्वास जोगा दास, थूँ थोड़ा में विस्वास जोगो रियो। मूँ थने नरई चिजाँ को हकदार बणाऊँ। आपणाँ मालिक का घर में जान खुसी मना।’
हो मारा प्यारा भायाँ, अबे आपाँ परमेसर का बेटा-बेटी हाँ, पण आबावाळी टेम में आपाँ कई वेवा, ईंका बारा में आपाँने ग्यान ने दिदो ग्यो हे, पण छावे ज्यो भी वे, आपाँ ओ जाणा हाँ के, जद्याँ मसी पाच्छा परगट वेई, तद्याँ आपाँ वींके जस्यान वे जावाँ, काँके जस्यान वो हे, वस्यानीस आपाँ वींने देकाँ।