जदी वणी होच्यो के वटूँ अखाया जाऊँ तो इपिसुस का विस्वास्याँ वींने धिजो बन्दायो अन अखाया का विस्वास्याँ ने लिक्यो के वीं ईंकी आवभगत करे। अन वणी वटे जान लोगाँ की मदत किदी जणा परमेसर की करपाऊँ विस्वास किदो हो।
परमेसर की वीं दया के जस्यान, ज्यो मने दिदी गी हे, में एक हूँस्यार कारीगर के जस्यान नीम नाकी, पण वींपे सणई करबावाळो तो कुई ओरी हे। पण हरेक मनक ने ध्यान राकणो हे के, वीं कस्यान काम कररिया हे।
काँके यद्याँ मसी में थाँने हिकाबावाळा दस हजार भी वे, तद्याँ भी थाँका बापू नरई ने हे। काँके हव हमच्यार हुणाबाऊँ अन ईसू मसी में मूँ थाँको बापू बण्यो हूँ।
मूँ मारा वीं हक की वजेऊँ ज्यो परबू मने दिदो हे वींपेईस मेपणो करूँ अन ओ हक परबू माँने थाँने बगाड़वा का वाते ने दिदो हे पण थाँने बणाबा का वाते दिदो हे। ईं वाते मूँ हरमा ने मरूँ।
मूँ बेण्डा मनक का जस्यान बतारियो हूँ पण अस्यान करबा वाते थाँईस मारा ऊपरे जोर दिदो हे। जद्याँ के, मूँ तो कई भी ने हूँ पण थाँ तो मारी बड़ई करणा छाता हाँ, काँके मूँ थाँका वाँ “मोटाऊँ मोटा खन्दाया तका चेलाऊँ” की कणी भी बात में कम ने हूँ।
परमेसर का बचनाँ को वोपार करबावाळा नरई मनक हे वीं आपणो नफो छावे हे पण माँ अस्यान ने हाँ। माँ तो परमेसर का आड़ीऊँ खन्दाया तका मनक का जस्यान मसी ने हाते लेन, हाँचऊँ बोला हाँ।
माँ थाँका हामे पाच्छी खुद की बड़ई ने कररियाँ, पण थाँने एक मोको देरिया हाँ के, थाँ माकाँ पे मेपणो कर सको। ज्यो मनक आपणाँ हरदा की बाताँ ने छोड़न दिकावाँ की बाताँ पे मेपणो करे हे वाँने थाँ जवाब दे सको।