अन जद्याँ वे पाणीऊँ बाणे निकळ्या, तो फिलिपुस ने परबू की आत्मा लेन परोग्यो अन वो अदिकारी पछे वींने कदी ने देक सक्यो अन वो राजी वेतो तको आपणे गेले-गेले परोग्यो।
मूँ मसी में एक मनक ने जाणूँ हूँ, मूँ ने जाणूँ पण परमेसरइस जाणे हे। वींने चवदा वर पेल्याँ देह हमेतइस कन देह का बना हरग की तीजी ऊसी जगाँ में उठा लिदो ग्यो हो।
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी बुरईऊँ जिती मूँ वींने परमेसर का बाग में जीवन का रूँकड़ा का लाग्या तका फळ खाबा को हक देऊँ।