27 में घणी मेनत किदी हे अन दुक का हाते जीवन जिदो हे। नरी दाण तो मूँ हूँ भी ने सक्यो। अन नरी दाण तो भुको-तरियो भी रियो हूँ, नरी दाण तो ठन्ड में बना गाबा के धूजतो रियो हूँ।
थाँ एक-दूँजा की देह की मनसा ने पुरी करबा में छेटी मती रेज्यो, पण थोड़ीक टेम तईं परातना का वाते आपस का राजीपाऊँ छेटी रो अन पाच्छा एक हाते वे जावो। कटे अस्यान ने वे के, थाँका खुद ने बंस में राकबा की कमजोरीऊँ सेतान थाँकी परक करे।
कई वींइस मसी का दास हे? मूँ बेण्डा के जस्यान कूँ हूँ, मूँ वणाऊँ भी बड़न मसी को दास हूँ। वाँकाऊँ हेली मेनत करबा में, नरी दाण जेळ में बन्द वेबा में, कोड़ा की मार खाबा में, आकोदाण मोत का मुण्डो में जाबा में,
कमी-पेसी में अन भरपुरी में रेणो मूँ जाणूँ हूँ। यद्याँ मूँ भुको कन धाप्यो तको हूँ अन मारा नके हेलो कन कम हे, कस्यी भी जगाँ में अन कणी भी टेम में सबर राकबा को ओ भेद में हिक लिदो हे।
हो भायाँ-बेना, थाँ माँकी मेनत अन दुक ने आद राको हो ज्यो थाँका बचमें व्यो हो अन माँ रात-दन काम धन्धो करन थाँने परमेसर को हव हमच्यार हुणायो जणीऊँ थाँका पे कई बोज ने पड़े।
घणा के भाटा की ठोकन मार दिदा, घणा ने आरीऊँ चिरिया ग्या, वाँने तरवारऊँ मारिया अन बकरिया अन गारा की खाळ ओड़न अटने-वटने फरता फरिया, वीं कंगाळ की दसा में, कळेस में, दुक जेलता तका,