25 तीन दाण तो में लटऊँ मार खादी अन एक दाण तो मारा पे भाटा की भी बरका किदी गी ही। तीन दाण तो जणी जाँज में चड़्यो हो, वींई टुटग्या, एक दाण तो मूँ एक रात-दन समन्द का मयने रियो।
पण पोलुस अदिकारियाँ ने क्यो “माँ रोमी मनक हाँ, तुई वे बना दोसऊँ माँने मनकाँ के हामे कुट्या अन जेळ में नाक्या, अबे कई माँने छानेकूँ निकळबाने केरिया हो?, अस्यान ने वेवे, पण वीं खुद आन माने बारणे काड़ी।”
घणा के भाटा की ठोकन मार दिदा, घणा ने आरीऊँ चिरिया ग्या, वाँने तरवारऊँ मारिया अन बकरिया अन गारा की खाळ ओड़न अटने-वटने फरता फरिया, वीं कंगाळ की दसा में, कळेस में, दुक जेलता तका,