14 या अचम्बा की बात ने हे, काँके सेतान खुद भी उजिता का हरग-दुताँ को रूप धारण करे हे।
पण मने दरपणी लागे हे, काँके कदी अस्यान ने वेजा के, जस्यान धरती की पेली लुगई ज्या हवा ही, वींने हाँप आपणी चालऊँ भटका दिदी ही, वस्यानीस ईं थाँका मन भी मसी की भगतीऊँ अन पवितरताऊँ ज्यो आपाँने मसी का वाते राकणी छावे, वणीऊँ भटका ने दिदो जावे।
जणीऊँ आपाँ सेतानऊँ हारा कोयने, काँके आपाँ वींकी चाल ने जाणा हाँ।
पण पलई माकाँ मूँ वे कन पलई कुई हरग-दुत, यद्याँ थाँ माँ ज्यो हव हमच्यार हुणायो हे वींने छोड़न दूजो हमच्यार हुणावे हे तो वो दण्ड को जोगो वेई।
काँके आपणो युद मनकाँऊँ कोयने पण आकास में रेबावाळा मोटा राजा, अदिकारियाँ, ईं अंदारा की दनियाँ में राज करबावाळी सगत्याँ अन हुगली आत्माऊँ हे।
अन परमेसरइस आपाँने सेतान की सगतिऊँ छोड़ान आपणाँ लाड़ला बेटा का राज में ले आया।
अन वीं मोटा अजगर ने धरती पे फेंक दिदा ग्यो ओ वोईस पुराणो मोटा हाँप हे जिंने दानव कन सेतान क्यो ग्यो हे। ओ हारी दनियाँ ने भरमातो रेवे। ईं अजगर ने ईंका दुताँ का हाते धरती पे फेंक दिदा ग्या।