“ओ कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ मनकाँ का वाते हरग का राज को बारणो बन्द करो हो, ने तो थाँ खुद परवेस करो हो अन ने वींमें परवेस करबावाळा ने परवेस करबा देवो हो।
हो विस्वासी भायाँ, माँ थाँने परबू ईसू मसी में ओ आदेस देवा हा के, हरेक अस्या मनकाऊँ छेटी रेज्यो जीं आळकातक हे अन ज्या हिक माँ वाँने दिदी हे वींके जस्यान ने करे।
ईं हिकबावाळा यन्नेस अन यमब्रेस का जस्यान हे, जणा मूसा को विरोद किदो हो, वस्यानीस ईं मनक हाँच को विरोद करी, ईं अस्यान का मनक हे जणाकी अकल मरगी हे अन ईं विस्वास में ने बण्या रे सकी।
ओ जरूरी वेग्यो हे के, वाँको मुण्डो बन्द किदो जावे, जीं ईं गलत बाताँ हिकान विस्वास्याँ का घर ने बगाड़रिया हे अन ईं हाराई नीचपणाऊँ रिप्या-कोड़ी कमावा का चकर में अस्यान करता रेवे हे।
अणा मनक का वाते यो हराप वेई अन ईं केन के जस्यान वींके गेले चाले हे अन ईं बिलाम के जस्यान धन कमावा का वाते वींके जस्यान गलती करे हे। ईं वाते जस्यान कोरह का हाते जीं मनक विरोद कररिया हा, वाँको नास वेग्यो हे वस्यानीस अणाको भी नास वेई।
काँके वणा हाराई मनकाँ ने कुकरम का वासना को दाकरस पायो हे। अन ईं धरती का हाराई राजा वींके हाते कुकरम किदो। अन ईं धरती की हाराई लेण-देण करबावाळा, वींका भोगन विलास की वजेऊँ रिप्यावाळा वेग्या हा।”