एक मण्डली को परदान बना दोसवाळो वेणो छावे, वींके एकीस लुगई वे, खुद ने बंस में राकबावाळो, धीरज करबावाळो अन मरयादा में रेबावाळो, वो आपणाँ घर में अणजाण की भी आवभगत करे, वो हिकावाबाळा वेवे।
पण मोट्यार विदवा लुगायाँ को नाम सेवा करबा की पोती में मती लिकज्ये, काँके जद्याँ वीं आपणी देह की मरजी का वाते ब्याव करणी छावे, तो वीं मसी का गेलाऊँ भटक जावे हे।
यद्याँ कणी विस्वासी लुगई का परवार में विदवा लुगई वे, तो वीं वींकी देक-रेक करे, ताँके मण्डली पे वींको बोज ने पड़े, जणीऊँ मण्डली वणा विदवा लुगायाँ की देक-रेक कर सके, ज्याको कुई ने हे।