“ओ कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ मनकाँ का वाते हरग का राज को बारणो बन्द करो हो, ने तो थाँ खुद परवेस करो हो अन ने वींमें परवेस करबावाळा ने परवेस करबा देवो हो।
जद्याँ वीं वणी नगर की फाटक का नके पूग्या तो, वटे कई वेवे हे के, लोग-बाग एक मरिया तका मनक ने खाटली पे हूँवाणन बारणे लईरा हा, ज्यो आपणी माँ को एकाएक बेटो हो, अन वा विदवा ही। अन वणी नगर का नरई मनक वींका हाते हा।
तो पतरस वाँकी लारे परोग्यो। जद्याँ पतरस वटे पूगो, तो वे वींने ऊपरे वीं ओवरा में लेग्या जटे हारी राडी-बायाँ रोती-धोती तकी वे गाबा-छींतरा बताती तकी च्यारूँमेर भेळी वेगी, जो गाबा वे तबीता नाम की चेली बणाया हा, जद वाँ वाँके हाते ही।
अस्यानीस हो मोठ्याराँ, थाँ भी थाँकी लुगायाँ का हाते हमजदारी का हाते जीवन जीवो। लुगायाँ ने कमजोर हमजन वाँको आदर करो, ओ जाणन के, आपीं दुई जीवन का वरदान में पांतीदार हा, ताँके थाँकी परातना में कुई ओट ने आवे।