2 दानी लुगायाँ ने बई के जस्यान अन मोट्यार लुगायाँ ने पुरी खरई का हाते बेन हमजन हमजाज्ये।
काँके ज्यो कुई मारा हरग का बाप की मरजी पे चाले, वो मारो भई, मारी बेन अन मारी बई हे।”
आकरी में हो भायाँ, ज्यो ज्यो बाताँ हाँची हे अन ज्यो ज्यो बाताँ आदर करबा जस्यी हे अन ज्यो ज्यो बाताँ सई हे अन ज्यो ज्यो बाताँ ऊजळी हे अन ज्यो ज्यो बाताँ हुवावणी हे अन ज्यो ज्यो बाताँ हव गुण, बड़ई अन बड़िया हे वाँपे ध्यान लगाया करो।
हारी तरियाँ की बुरईऊँ बचन रेवो।
थने किंका भी हामे रेटे ने देकणो पड़ी, काँके थूँ मोट्यार हे, पण बोली-चाली, चालचलन, परेम-भाव, विस्वास अन खरई में थूँ विस्वास्याँ का हामे नमुनो बणजा।
दाना मनकाँ ने कदी तापड़ज्ये मती, पण वाँकाऊँ आदर-मान का हाते बोलज्ये, जस्यान खुद का बापूऊँ बोले हे। मोट्यार ने खुद का भई का जस्यान हमजज्ये।
वणा विदवा लुगायाँ को मान करज्ये, जणाकी देक-रेक करबावाळो हाँची में कुई ने हे।
जवानी की बुरी मरजीऊँ छेटी रे अन ज्यो खरा मनऊँ परबू को नाम लेवे हे वाँका हाते खुद ने धरम, विस्वास, परेम अन सान्तीऊँ रे।