में वाँकाऊँ क्यो, ‘रोमियाँ में अस्या रिति-रिवाज कोयने हे के, दोस लगाया तका मनक ने वाद-विवाद करन वींने बंचबा को मोको दिदा बनाई वींने दण्ड का वाते हूँप्यो जावे।’
थाँरा मयने ज्यो आत्मिक वरदान हे ज्यो थने वीं टेम मल्यो हो, जद्याँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा थाँरा माता पे आसिरवाद देबा का वाते हात मेल्यो हो, वीं वरदान का वाते बेपरवा मती वेज्ये।
एक परदान का रूप में जतरा भी मोतबीर मनक हव काम करे हे, वीं दुणा आदर-मान के जस्यान हमज्या जावे, खास तरियाऊँ वीं ज्यो परच्यार अन हिकाबा में घणी मेनत करे हे।
परदानाँ ने जिमेदारी तद्याँईस हूँपी जावे, जद्याँ वीं निरदोस वेवे अन वाँके एकीस लुगई वे, वाँका बाळक विस्वासी वेवे अन बुरा काम करबावाळा ने वेवे अन आग्या ने मानबावाळा में वाँको नाम ने वेवे।