काँके अस्यो धणी ज्यो विस्वास ने राके हे, वो आपणी विस्वासी लुगई का मस परमेसर ने भावे हे अन अस्यी लुगई ज्या विस्वास ने राके हे, वाँ आपणी विस्वासी धणी का मस परमेसर ने भावे हे, ने तो थाँकी ओलाद असुद वेती, पण अबे तो वीं पुवितर हे।
अस्यान का मनक ब्याव करबा ने गलत अन खाबा की कई चिजाँऊँ रका राकबा की हिक देई, पण परमेसर वणा चिजाँ ने ईं वाते बणई के, विस्वास अन हाँच ने जाणबावाळा वाँने परमेसर को धन्नेवाद देन खावे।
विस्वास करबा की वजेऊँ आपाँ ओ जाण सका हा के, परमेसर की आग्याऊँईस ईं बरमाण्ड की रचना वीं हे। ईं वाते, ईं हाराई दिकबावाळी चिजाँ, दिकबावाळी चिजाँऊँ ने बणी हे।