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- Sanasan -




1 तिमुतियूस 4:1 - नुवो नेम (मेवड़ी नया नियम)

1 पुवितर आत्मा सई तरियाऊँ बोले हे के, थोड़ाक टेम का केड़े थोड़ाक मनक विस्वास करणो छोड़ देई, वीं भटकाबाळी आत्मा की जूटी हिक ने मानी अन जूटी आत्मा का क्या में रेई।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




1 तिमुतियूस 4:1
64 Iomraidhean Croise  

ठोकर देबावाळा ने धिकार हे। ठोकर को लागणो जरूरी हे, पण धिकार हे, वीं मनक पे जणीऊँ आ ठोकर लागे हे।


ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, “अस्यो तो वे ने सके के, ठोकर खवाड़ाबा वाळी बाताँ ने वेवे, पण, धिकार हे वणी मनक पे जिंका मस ईं ठोकर की बाताँ वेवे।


पण जद्याँ हाँच की आत्मा आई, तो थाँने हारई हाँच को गेलो बता देई, काँके वाँ खुद का आड़ीऊँ ने केई पण ज्यो कई हूणी वो केई अन आबावाळी बाताँ थाँने बताई।


वे जद्याँ वरत करता तका परबू की मेमा कररिया हा, तद्याँई पुवितर आत्मा क्यो, “बरनबास अन साउल ने जीं काम के वाते में बलाया हा, वीं काम के वाते वाँने न्यारा कर दो।”


तद्याँ इपिकुरी अन स्तोकी का थोड़ाक अकलमन्द मनक वींकाऊँ आपणी बात-बच्यार किदी अन क्यो, “ओ बेण्डो कई केणो छारियो हे”। पण दूजाँ क्यो “ओ दूजाँ देवी-देवताँ का बारा में बतावे हे”। वे अस्यान ईं वाते केरिया हा, काँके वो ईसू का बारा में अन वींके पाछो जीवतो वेबा को हव हमच्यार हुणारियो हो।


बेस ओ के पुवितर आत्मा हरेक नगर में गवई देन मने केवे हे के, हतकड़ी अन दक-तकलिप मारा वाते वेबावाळी हे,


वो मनक माकाँ नके आन पोलुस का बेलपट्याऊँ आपणाँ हात-पग बाँदन क्यो, “पुवितर आत्मा ओ केवे के, जिंको ओ बेलपट्यो हे, वींने यरूसलेम में यहूदी मनक अस्यानीस बांदी अन जो यहूदी ने हे वाँने हूँप देई।”


जद्याँ वीं एक-दूजाऊँ राजी ने वेन जारिया हा तद्याँ पोलुस वाकाँऊँ क्यो, “पुवितर आत्मा यसाया जो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळे थाँका बापदादाऊँ बड़्याईस क्यो हो के,


ने, मारा केवा को मतलब ओ हे के, वीं अधरमी ज्यो बली चड़ावे हे, वीं परमेसर का वाते ने, पण हुगली आत्मा का वाते चड़ावे हे। अन मूँ ने छावूँ के, थाँ हुगली आत्मा के भेळा रेवो।


काँके फुट तो थाँकामें वेई, अणीऊँ थाँका बंच में में ज्यो खरा मनक ठेराया ग्या हा, वीं हामे आ जाई।


पण ईं हाराई काम एकीस आत्मा करे, ज्या एकीस हे अन वाँ जिंने छावे वाँने ईं वरदान बाँट देवे हे।


पण परमेसर वणा भेद की बाताँ ने आपणी आत्माऊँ आपाँने परगट किदा, काँके आत्मा हाराई बाताँइस ने पण परमेसर का भेद की बाताँ भी जाणे हे।


पण मने दरपणी लागे हे, काँके कदी अस्यान ने वेजा के, जस्यान धरती की पेली लुगई ज्या हवा ही, वींने हाँप आपणी चालऊँ भटका दिदी ही, वस्यानीस ईं थाँका मन भी मसी की भगतीऊँ अन पवितरताऊँ ज्यो आपाँने मसी का वाते राकणी छावे, वणीऊँ भटका ने दिदो जावे।


कुई मनक दया को दिकावो करन हरग-दुताँ की पुजा करन थाँने थाँका फळऊँ छेटी ने कर दे। अस्यान मनक देकी तकी बाताँ में लाग्या तका रेवे, अन आपणी दनियादारी की हमज ने बेकार में फुलावे अन बड़ावे हे।


अन बुरा अन धोको देबावाळा मनक धोको देता अन खुद धोको खाता तका हेलाऊँ हेला बुरा वेता तका परा जाई।


वीं हाँचऊँ छेटी वे जाई अन बना मतलब की बाताँ पे ध्यान लगाई।


अस्यान को ग्यान हरगऊँ कोयने मले, पण ओ ईं दनियाँ को, मनकाँ का हाव-भाव अन सेतान को ग्यान हे।


वींने ईं धरती की रचना वेबाऊँ पेल्याँई चुण लिदो ग्यो हो, पण थाँ लोगाँ का वाते आकरी दनाँ में वींने परगट किदो ग्यो।


जस्यान वीं टेम में वणा लोगाँ में परमेसर का आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा हा, वस्यानीस थाँका मयने भी परमेसर की आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा वेई, वीं छानेऊँ नास करबावाळा कामाँ ने करी अन वीं वणी मालिक को मान ने करी, जणी वाँने आजाद किदा हा, अस्यान करन वीं खुद को फटाकऊँ नास कर देई।


अणीऊँ पेल्याँ थाँने ओ जाण लेणो छावे के, आकरी दनाँ में दाँत काड़बावाळा अन मजा करबावाळा आई अन आपणी बुरी मरजी का जस्यानीस करी।


हो मारा प्यारा बाळकाँ, जस्यान थाँ जाणो हो के, आकरी टेम आगी हे अन मसी को दसमण भी आबावाळो हे। ईं वाते वींकी जस्यान नरई मसी का दसमण बणग्या हे, ईं वजेऊँ आपाँ जाण सका हाँ के, आकरी टेम नके हे।


पण ज्यो भी आपणी बाताँ हुणे हे, वो परमेसर का आड़ीऊँ हे, काँके वो परमेसर ने जाणे हे। पण ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ ने हे, वीं आपणी ने हुणे। अणी बात की वजेऊँ आपाँ ओ जाण सका के, कस्यी आत्मा हाँच की हे अन कस्यी आत्मा भटकबावाळी हे।


वणा थाँने क्यो हो के, “आकरी का दनाँ में अस्यान का मनक भी आई, जी परबू अन वाँका मनकाँ की मजाक उड़ाई अन वीं आपणी बुरी मरजी का जस्यान चाली।”


पण थाँकी मण्डली में छानेऊँ अस्यान का मनक आग्या हे, ज्याँका बारा में सास्तर में पेल्याँई लिक्यो हे के, वाँने दण्ड मली, काँके वीं परमेसर ने कोयने जाणे हे। अणा मनकाँ परमेसर की दया ने खुद का वाते कुकरम करबा की छुट मान लिदी हे अन आपणाँ परबू जीं आपणाँ मालिक ईसू मसी हे वाँने मानबा का वाते नट जावे हे।


वो पेला डरवाणा जनावर का हकऊँ चमत्कार बतातो हो। वो धरती पे रेबावाळा मनकाँ ने भरमातो अन बोलतो हो के, जीं पेला जनावर के तरवारऊँ घाव व्यो हो, वो ठीक वेग्यो हे, थाँ वींकी मूरत बणावो, ताँके वींने मान मले।


ईं सेतान की आत्मा ही, वणामें चमत्कार करबा की तागत ही। अन ईं हाराई दनियाँ का राजा ने भेळा करबा का वाते चालन पड़ी, जणीऊँ वीं हाराई राजा ने परमेसर का हामे लड़बा का वाते आकरी दन भेळा करे।


वणी जोरऊँ हेला पाड़न क्यो के, “बाबुल नगर धड़ग्यो, ओ नगर तो धड़ग्यो। ओ नगर हरेक तरियाँ की हुगली आत्मा को, हाराई असुद पकसी को अन काकड़ का बुरा जनावर को अडो बणग्यो हे।


नेई थाँरा में कदी पाछो दिवा का उजितो वेई, अन नेई बींद बिदणी की अवाज हुणई देई। काँके थाँरा लेण-देण करबावाळा वोपारी धरती का परदान हा, अन थाँरा में जी जादु-टोना टोटका व्या करता हा, वणाऊँ हारी जात्या ने भटकई गी ही।


वीं डरावणा जनावर ने अन वींके हाते जूटी आगेवाणी करबावाळा जी हेन्याण चमत्कार बतान वणा मनकाँ ने ज्यापे वीं जनावर की मोर लगई ही अन वींकी मूरत ने पुजा करता हा, वाँने पकड़ लिदा। वणा दुया ने वीं वादी की बळता तका नरक का कुण्ड में जीवताई नाक दिदा ग्या।


जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती वींने दूँजी मोत कोयने जेलणी पड़ी।


जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती, मूँ वाँने हरग में हपायो तको मन्नो देऊँ। मूँ वाँने एक धोळो भाटो भी देऊँ, जिंका ऊपरे एक नुवो नाम लिक्यो तको वेई। वो नाम वीं मनक का छोड़न कुई ने जाणी, जिंने वो दिदो जाई।


जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे।


जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी बुरईऊँ जिती मूँ वींने परमेसर का बाग में जीवन का रूँकड़ा का लाग्या तका फळ खाबा को हक देऊँ।


अन वीं सेतान ने ज्यो वाँने भरमातो हो, वीं वादी का कुण्ड में जिंका में वीं डरावणा जनावराने अन वींका जूटी आगेवाणी करवावाळा नाक्या ग्या हा, वींने भी नाक दिदो जाई, जिंमें वीं हमेस्यान दन रात तड़पता रेई।


जणीऊँ वो वणा जात्या का नके ज्या धरती का च्यारूँमेर जाई, ज्याँने गोग अन मागोग क्यो जावे हे, जणाकी गणती समन्द की रेत की कण का बराबर वेई, वो वाँने भरमान लड़ई करबा का वाते भेळा करबा का वाते जाई।


जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे।


जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे।”


जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे।


पछे वीं मनक जो वाँकी मारऊँ बचग्या हा, वणा आपणाँ मन ने ने बदल्यो, पण वीं तो हुगली आत्मा, होना, चाँदी, पीतळ, भाटा अन कांस्या की मूरताँ के, जीं ने बोल सके हे, ने देक सके हे, अन ने चाल सके अन ने हुणन सके, वाँके धोक लागणो ने छोड़्यो।


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