1 पुवितर आत्मा सई तरियाऊँ बोले हे के, थोड़ाक टेम का केड़े थोड़ाक मनक विस्वास करणो छोड़ देई, वीं भटकाबाळी आत्मा की जूटी हिक ने मानी अन जूटी आत्मा का क्या में रेई।
वे जद्याँ वरत करता तका परबू की मेमा कररिया हा, तद्याँई पुवितर आत्मा क्यो, “बरनबास अन साउल ने जीं काम के वाते में बलाया हा, वीं काम के वाते वाँने न्यारा कर दो।”
तद्याँ इपिकुरी अन स्तोकी का थोड़ाक अकलमन्द मनक वींकाऊँ आपणी बात-बच्यार किदी अन क्यो, “ओ बेण्डो कई केणो छारियो हे”। पण दूजाँ क्यो “ओ दूजाँ देवी-देवताँ का बारा में बतावे हे”। वे अस्यान ईं वाते केरिया हा, काँके वो ईसू का बारा में अन वींके पाछो जीवतो वेबा को हव हमच्यार हुणारियो हो।
ने, मारा केवा को मतलब ओ हे के, वीं अधरमी ज्यो बली चड़ावे हे, वीं परमेसर का वाते ने, पण हुगली आत्मा का वाते चड़ावे हे। अन मूँ ने छावूँ के, थाँ हुगली आत्मा के भेळा रेवो।
पण मने दरपणी लागे हे, काँके कदी अस्यान ने वेजा के, जस्यान धरती की पेली लुगई ज्या हवा ही, वींने हाँप आपणी चालऊँ भटका दिदी ही, वस्यानीस ईं थाँका मन भी मसी की भगतीऊँ अन पवितरताऊँ ज्यो आपाँने मसी का वाते राकणी छावे, वणीऊँ भटका ने दिदो जावे।
कुई मनक दया को दिकावो करन हरग-दुताँ की पुजा करन थाँने थाँका फळऊँ छेटी ने कर दे। अस्यान मनक देकी तकी बाताँ में लाग्या तका रेवे, अन आपणी दनियादारी की हमज ने बेकार में फुलावे अन बड़ावे हे।
जस्यान वीं टेम में वणा लोगाँ में परमेसर का आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा हा, वस्यानीस थाँका मयने भी परमेसर की आड़ीऊँ जूटा बोलबावाळा वेई, वीं छानेऊँ नास करबावाळा कामाँ ने करी अन वीं वणी मालिक को मान ने करी, जणी वाँने आजाद किदा हा, अस्यान करन वीं खुद को फटाकऊँ नास कर देई।
पण ज्यो भी आपणी बाताँ हुणे हे, वो परमेसर का आड़ीऊँ हे, काँके वो परमेसर ने जाणे हे। पण ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ ने हे, वीं आपणी ने हुणे। अणी बात की वजेऊँ आपाँ ओ जाण सका के, कस्यी आत्मा हाँच की हे अन कस्यी आत्मा भटकबावाळी हे।
पण थाँकी मण्डली में छानेऊँ अस्यान का मनक आग्या हे, ज्याँका बारा में सास्तर में पेल्याँई लिक्यो हे के, वाँने दण्ड मली, काँके वीं परमेसर ने कोयने जाणे हे। अणा मनकाँ परमेसर की दया ने खुद का वाते कुकरम करबा की छुट मान लिदी हे अन आपणाँ परबू जीं आपणाँ मालिक ईसू मसी हे वाँने मानबा का वाते नट जावे हे।
वो पेला डरवाणा जनावर का हकऊँ चमत्कार बतातो हो। वो धरती पे रेबावाळा मनकाँ ने भरमातो अन बोलतो हो के, जीं पेला जनावर के तरवारऊँ घाव व्यो हो, वो ठीक वेग्यो हे, थाँ वींकी मूरत बणावो, ताँके वींने मान मले।
ईं सेतान की आत्मा ही, वणामें चमत्कार करबा की तागत ही। अन ईं हाराई दनियाँ का राजा ने भेळा करबा का वाते चालन पड़ी, जणीऊँ वीं हाराई राजा ने परमेसर का हामे लड़बा का वाते आकरी दन भेळा करे।
वणी जोरऊँ हेला पाड़न क्यो के, “बाबुल नगर धड़ग्यो, ओ नगर तो धड़ग्यो। ओ नगर हरेक तरियाँ की हुगली आत्मा को, हाराई असुद पकसी को अन काकड़ का बुरा जनावर को अडो बणग्यो हे।
नेई थाँरा में कदी पाछो दिवा का उजितो वेई, अन नेई बींद बिदणी की अवाज हुणई देई। काँके थाँरा लेण-देण करबावाळा वोपारी धरती का परदान हा, अन थाँरा में जी जादु-टोना टोटका व्या करता हा, वणाऊँ हारी जात्या ने भटकई गी ही।
वीं डरावणा जनावर ने अन वींके हाते जूटी आगेवाणी करबावाळा जी हेन्याण चमत्कार बतान वणा मनकाँ ने ज्यापे वीं जनावर की मोर लगई ही अन वींकी मूरत ने पुजा करता हा, वाँने पकड़ लिदा। वणा दुया ने वीं वादी की बळता तका नरक का कुण्ड में जीवताई नाक दिदा ग्या।
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती, मूँ वाँने हरग में हपायो तको मन्नो देऊँ। मूँ वाँने एक धोळो भाटो भी देऊँ, जिंका ऊपरे एक नुवो नाम लिक्यो तको वेई। वो नाम वीं मनक का छोड़न कुई ने जाणी, जिंने वो दिदो जाई।
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी बुरईऊँ जिती मूँ वींने परमेसर का बाग में जीवन का रूँकड़ा का लाग्या तका फळ खाबा को हक देऊँ।
अन वीं सेतान ने ज्यो वाँने भरमातो हो, वीं वादी का कुण्ड में जिंका में वीं डरावणा जनावराने अन वींका जूटी आगेवाणी करवावाळा नाक्या ग्या हा, वींने भी नाक दिदो जाई, जिंमें वीं हमेस्यान दन रात तड़पता रेई।
जणीऊँ वो वणा जात्या का नके ज्या धरती का च्यारूँमेर जाई, ज्याँने गोग अन मागोग क्यो जावे हे, जणाकी गणती समन्द की रेत की कण का बराबर वेई, वो वाँने भरमान लड़ई करबा का वाते भेळा करबा का वाते जाई।
पछे वीं मनक जो वाँकी मारऊँ बचग्या हा, वणा आपणाँ मन ने ने बदल्यो, पण वीं तो हुगली आत्मा, होना, चाँदी, पीतळ, भाटा अन कांस्या की मूरताँ के, जीं ने बोल सके हे, ने देक सके हे, अन ने चाल सके अन ने हुणन सके, वाँके धोक लागणो ने छोड़्यो।