हो भायाँ, मूँ थाँकाऊँ वस्यान बात ने कर सक्यो जस्यान आत्मिक मनकाँऊँ करूँ हूँ, पण मने थाँकाऊँ वस्यान बात करणी पड़ी जस्यान सांसारिक मनक करे हे अन ज्यो अबाणू मसी में नवा विस्वासी हे।
मूँ ईं दरसण की वजेऊँ मोटो ने वे जऊँ, ईं वाते मारी देह में एक रोग दिदो ग्यो हे ज्यो सेतान को एक दूत हे अन ओ मने दुक देतो रेवे हे जणीऊँ मूँ घणो मेपणो ने कर सकूँ हूँ।
हो मोठ्याराँ, अणीस तरियाँ थाँ भी परदानाँ का बंस में रेवो, थाँ हाराई का हाराई सेवा करबा वाते दया का हाते त्यार रेवो, काँके “परमेसर मेपणो करबावाळा का खिलाप में हे, पण जो मनक खुद ने फोरो बणावे हे वींके ऊपरे परमेसर दया करे हे।”
काँके परमेसर वणा हरग दुताँ ने जी पाप करिया हा, वाँने भी ने छोड़्या अन वाँने पाताळ में अंदारा की कोटड़ी में नाक दिदा हे, ताँके वीं न्याववाळा दन तईं वटे पड़्या रे।