एक मण्डली को परदान बना दोसवाळो वेणो छावे, वींके एकीस लुगई वे, खुद ने बंस में राकबावाळो, धीरज करबावाळो अन मरयादा में रेबावाळो, वो आपणाँ घर में अणजाण की भी आवभगत करे, वो हिकावाबाळा वेवे।
जणा दास का मालिक विस्वासी हे, वीं ईं वजेऊँ के, वाँका मालिक विस्वासी हे, वाँको मान-समान करणो कम मती करज्यो, पण वाँने तो वाँके मालिक की हेली सेवा करे, काँके वाँका काम को नफो ज्याँने मलरियो हे वीं विस्वासी हे, ज्याँने वीं परेम करे हे। ईं बाताँ थूँ लोगाँ ने करबा का वाते के अन हिका।
थूँ सान्तीऊँ टक्यो तको रेज्ये अन दुक भोगबा का वाते त्यार रे। हव हमच्यार को परच्यार करबा का वाते घणी मेनत कर अन थाँरी जिमेदारी ने हव तरियाऊँ पुरी करज्ये।