वीं खुद पे काबू राकबावाळी, पुवितर, भली अन आपणाँ धणी का क्या में चालबावाळी, घर ने बणाबावाळी हव लुगई वे, जणीऊँ कुई भी परमेसर का नकेऊँ आबावाळा हमच्यार का बारा में बुरा ने बोले।
हो लुगायाँ, जस्यान दास मालिक का बंस में रेवे हे, वस्यान थाँ भी थाँका धणी का बंस में रेवो, काँके यद्याँ थाँका धणी परबू का बचन ने मानबावाळा भी वेवे, तो वींने कई केवा की जरूत कोयने, पण वो आपणी लुगई का वेवार ने देकन परमेसर का बचन पे चालबा लाग जाई।