ओ अस्यानीस हे, जस्यान कुई मनक कस्यी यातरा पे जातो तको आपणाँ नोकराँ ने आपणो घर हूँप जावे, अन हारा ने न्यारो-न्यारो काम हूँप दे अन चोकीदार ने ओ हुकम दे के, वो जागतो रेवे।
मारी हमेस्यान आ मनसा हे के, मूँ हव हमच्यार को परच्यार वटे करूँ, जटे कुई मसी को नाम भी ने जाणे, ईंकी वजे आ हे के, मूँ कुई दूजाँ मनक की नाकी तकी नीम पे सणई ने करूँ।
अन वाँ घर-घर फरन आपणो टेम बगाड़णो हिक जावे हे, अन अणीऊँ भी हेलो वाँ फोकट की बाताँ करणी अन दूजाँ का काम में टाँग अड़ाणी हिक जावे हे। जणा बाताँ का बारा में बात ने करणी छावे, वाँका बारा में बाताँ करे हे।
पण थाँ थाँको मयने का मन ने परबू का वसनऊँ जो सान्ती अन हुदा भावऊँ भरियो तको हे, वणीऊँस खुद ने सजाज्यो, काँके अस्यान को सजणो-धजणो परमेसर का हामे घणो हव हे।