जद्याँ कुई मारा अन मारी हिकऊँ, कुकरमी अन पापी जमानाऊँ हरमाई तो मूँ ज्यो मनक को पूत(ईसू) हूँ, जद्याँ पुवितर हरग-दुताँ की लारे परमेसर की मेमा में आऊँ, तो वींका वाते हरमाऊँ।”
किंका दूजाँ के दास को न्याव करबावाळा थाँ कूण वेवो हो? वीं सफल वेई के, ने वेई ईं बात को न्याव करबावाळो वाँका खुद को मालिक हे। अन वीं सफल वेई, काँके परबू वाँने सफल बणाबा की तागत राके हे।
पण आपाँ हाराई भी एक का केड़े एक जिवाया जावाँ। हाराऊँ पेल्या मसी ने जिवायो ग्यो अन वाँका केड़े वाँका दूजी दाण आबा की टेम पे वाँने ज्यो मसी का मनक हे वाँने जीवाई।
अन तिमुती ने ज्यो मसी का हव हमच्यार में मारो विस्वासी भई अन परमेसर को दास हे वींने थाँका नके खन्दावाँ जणीऊँ वो थाँने पाका करे अन विस्वास का बारा में हमजावे अन थाँकी हिम्मत बड़ावे।
परबू का बचना का आड़ीऊँ माँ थाँने बतारिया हाँ के, आपाँ जतरा जीवता हा, बच्या तका रेवा अन परबू के पाच्छा आबा का दन तईं जतरा मरग्या हे, वणाऊँ आगे कुई ने वेई।