ईं वाते वणी मुनीम ने बलान क्यो, ‘या कई बात वेरी हे थाँरा बारा में? ज्या मूँ थाँरा बारा में हुणरियो हूँ। आपणाँ मुनीमपणा को मने हिस्याब दे। काँके आगेऊँ थूँ मुनीम को काम ने कर सके हे।’
काँके वणी एक दन ठेरायो हे, वीं आपणाँ थरप्या तकाऊँ वो धरती का हंगळा मनकाँ को हाँचऊँ न्याव केरी, अन वणी मरिया तका मूँ पाछो जीवतो वेन हंगळा मनकाँ में आ बात पाकी कर दिदी हे।