वाँकाऊँ मती दरपो, ज्यो बेस थाँने मार कर सके हे पण थाकी आत्माने नास ने सके हे, बेस वीं परमेसरऊँ दरपज्यो ज्यो सरीर अन आत्मा दुयाँ ने नरक में नाकन नास कर सके हे।
“मूँ थाँने सान्ती देन जारियो हूँ, आपणी खुद की सान्ती थाँने देवूँ हूँ। दनियाँ देवे हे वस्यान मूँ थाँने ने देवूँ हूँ। थाँको मन दकी ने वेवे अन ने थाँ दरपे।
ईं तरियाँ मूँ मसी का आड़ीऊँ मारी कमजोरियाँ में, बेजत वेन में, दुक में, हताव में, तकलिप में, अबकी टेम में मूँ राजी रूँ हूँ। जद्याँ मूँ कमजोर वेवूँ हूँ, तद्याँईस मूँ जोरावर बणूँ हूँ।
देको, आपाँ धीरज राकबावाळा ने धन्न हमजा हा। थाँ अयुब का धीरज का बारा में तो हुण्योईस हे अन परबू वींने वींको ज्यो फळ दिदो हो, यो थाँ तो जाणोइस हो, काँके परबू तरस अन दया करबावाळा हे।
जस्यान सारा अबराम का क्या में रिया करती ही अन अबराम ने खुद को मालिक मानती ही। अस्यान जद्याँ थाँ भी भलई करो अन कणीऊँ दरपो कोयने, तो थाँ वींकी बेट्या केवावो।