12 काँके परबू की आक्याँ खरा मनकाँ पे लागी रेवे हे, अन वींका कान वाँकी परातना हुणबा का वाते वाँके आड़ी लाग्या रेवे हे, पण परबू वाँ मनकाँ का विरोद रेवे हे जो बुरई करे हे।”
ईं वाते थाँ एक दूजाँ का हामे खुद का पाप ने मानलो अन एक दूजाँ का वाते परातना करता रेवो, जणीऊँ थाँ हव वे जावो। धरमी मनक की परातना घणी जोरवार अन असर करबाळी वेवे हे।