अन आज मूँ ज्यो कई भी हूँ परमेसर की दयाऊँ हूँ अन वींकी दया मारा वाते बेकार ने गी। काँके में दूजाऊँ हेली मेनत किदी हे, पण परमेसर की दया मारा पे हे जणीऊँ मूँ अस्यान कर सक्यो हूँ।
माँ आ बात मेपणोऊँ अन साप हरदाऊँ के सका हाँ के, माँ ईं दनियाँ का हाते अन खासतोरऊँ थाँका हाते परमेसर की दया के जस्यान चाल्या हा अन हव तरियाऊँ अन हाँच का हाते चाल्या हा ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ मले हे ईं दनियाँ की अकलऊँ ने मले हे।
यद्याँ अस्यान वेतो तो वाँको चडावो चड़ाणो बन्द वे जातो। अन यद्याँ भगती करबावाळा एकीस दाण में हमेस्या का वाते पुवितर ने वे जाता, तो वाँको मन वाँने पाच्छा पापी ने ठेरातो।
पण यद्याँ थाँने बुरा काम करबा का वजेऊँ कुट्या जावे अन थाँ दुक भोगो हो, तो ईंमें बड़ई की कस्यी बात हे? पण यद्याँ थाँने थाँका हव काम की वजेऊँ हताया जावे हे तो थाँ परमेसर का हामे बड़ई के जोगो हो।