हे बना अकल का गलातिया का मनकाँ, थाँने कणी भेंम में नाक दिदा हे। में पुरो-पुरो बखाण अस्यान किदो हो के, मानो थाँकी आक्याँ का हामेईस तो ईसू मसी ने हूळी पे चड़ाया ग्या वे।
पेल्याँ मूँ परमेसर का बारामें बुरो बोलबावाळो, वींका मनकाँ ने हताबावाळो अन वाँकी मजाक करबावाळो मनक हो। ईंका केड़े भी मारा पे दया वी, काँके एक बना विस्वासवाळा का जस्यान अणजाण में ईं हाराई में काम किदा हा।
काँके मसी ने मानबाऊँ पेल्याँ आपाँ भी बना ग्यान का, केणो ने मानबावाळा, भटक्या तका अन हरेक तरियाँ की मो-माया का गुलाम हाँ। आपणो जीवन बुरई अन मेपणाऊँ भरियो हे। अन आपाँ एक-दूजाऊँ दसमणी राकता हाँ।
पण ईं मनक जनावर के जस्यान हे, ज्याको जनम ईं वाते व्यो हे के, वीं पकड़्या जावे अन मारिया जावे। ईं मनक जीं बाताँ का बारा में जाणेई कोयने वाँके बारा में दूजाँ ने भलो-बुरो केवे हे। ईं वाते जस्यान जनावर मारिया जावे हे वस्यानीस ईं मनक भी मारिया जाई।
पण ईं मनक तो जणा बाताँ का बारा में जाणी कोयने वाँका बारा में भलो-बुरो केवे हे। ईं तो बना हमजवाळा जनावराँ का जस्यान हे, जीं आपणी मरजी का जस्यान करे हे। अस्यान करन ईं खुद को नास कररिया हे।