24 काँके सास्तर में भी लिक्यो तको हे के, “हाराई मनक चारा के जस्यान हे, अन वाँको सजणो अन धजणो भी काकड़ का फुल का जस्यान हे। चारो हूक जावे हे अन फुल जड़ जावे हे।
ईं वाते जद्याँ परमेसर छापेड़ा की चुंटी ने, ज्यो अबाणू हे, अन काले वादी में बाळी जई, वींने अतरी हव बणावे हे, तो हो कम विस्वासवाळा, कई थाँने हव गाबा ने पेराई?
पण थाँ तो यो भी ने जाणो के, काले थाँका जीवन में कई वेई। देको, थाँको जीवन कई हे? थाँ तो वीं धुंध के जस्यान हो, ज्या थोड़ीक देर का वाते दिके हे अन पाच्छी परी जावे हे।