काँके वटा का मनक खुद ईं माकाँ बारा में बतावे हे के, कस्यान माँ थाँका नके आया अन कस्यान थाँ मूरत्याँ ने छोड़न जीवता अन हाँचा परमेसर की सेवा करबा का वाते फरग्या हाँ।
पछे वीं मनक जो वाँकी मारऊँ बचग्या हा, वणा आपणाँ मन ने ने बदल्यो, पण वीं तो हुगली आत्मा, होना, चाँदी, पीतळ, भाटा अन कांस्या की मूरताँ के, जीं ने बोल सके हे, ने देक सके हे, अन ने चाल सके अन ने हुणन सके, वाँके धोक लागणो ने छोड़्यो।