4 हो मारा प्यारा बाळकाँ, थाँ परमेसर का हो। ईं वाते थाँ जूटा परमेसर की आड़ीऊँ बोलबावाळाऊँ जितग्या हो। काँके थाँका मयने वो परमेसर वास करे हे वीं ईं दनियाँ में रेबावाळा सेतानऊँ जोरावर हे।
मूँ वाँका में अन थाँ मारा में वेवो, जणीऊँ वीं पुरी तरियाऊँ आपाँ में एक वे जावे। अन दनियाँ जाणे के, थाँ मने खन्दायो हे, अन जस्यान थाँ माराऊँ परेम किदो वस्यानीस वाँकाऊँ भी परेम करो हो।
क्यो जावे हे के, “खाणो पेट का वाते अन पेट खाणा का वाते हे।” पण परमेसर अणा दुयाँ ने खतम कर देई अन देह कुकरम का वाते ने हे, पण परबू की सेवा का वाते हे अन देह का वाते परबू वेवस्ता करे हे।
ईं दनियाँ को सेनापती ज्यो सेतान हे, वो वणा मनकाँ की अकल ने बन्द कर मेली हे जीं विस्वास ने करे हे। जणीऊँ वीं परमेसर का रूप में मसी ने अन वाँकी मेमावान उजिता का हव हमच्यार ने ने देक सके।
परबू का मन्दर को मूरत्याऊँ कई वेवार? काँके आपाँ खुदईस जीवता परमेसर का मन्दर हा, जस्यान वणा खुदईस क्यो हो, “मूँ वाँका में वास करिया करूँ, वाँका में चालूँ-फरूँ। मूँ वाँको परमेसर वेऊँ अन वीं मारा मनक वेई।
थाँ पेल्याँ दनियाँ का हूँगला नेमा पे चालता हा। अन वीं वादळा की आत्मिक सगत्याँ का राजा ने मानता हा, ज्यो आत्मा लोगाँ ने अबे परमेसर को मान ने करबा का वाते मजबूर करती ही।
अन ज्यो भी मनक परमेसर को आदेस माने हे वींका में परमेसर को वास रेवे हे अन वो मनक परमेसर में बण्यो तको रेवे हे। अन पुवितर आत्मा की वजेऊँ ज्या आपाँने दिदी गी, वणीऊँ ओ जाण सका हाँ के, आपणाँ मयने परमेसर को रेवास हे।
जस्यान को परेम परमेसर आपाऊँ राक्यो हे वींने आपाँ जाणा हाँ अन आपाँ वींमें विस्वास भी किदो हे। परमेसरइस परेम हे। ज्यो भी मनक परेम करे हे वो वींमें बण्यो तको रेवे हे अन परमेसर वींमें वास करे हे।
पण ज्यो भी आपणी बाताँ हुणे हे, वो परमेसर का आड़ीऊँ हे, काँके वो परमेसर ने जाणे हे। पण ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ ने हे, वीं आपणी ने हुणे। अणी बात की वजेऊँ आपाँ ओ जाण सका के, कस्यी आत्मा हाँच की हे अन कस्यी आत्मा भटकबावाळी हे।