18 ज्यो मनक परेम करे हे, वो दरपे कोयने, काँके परेम दरप ने छेटी करे हे। दरप को हण्डाळ्यो दण्ड हे। ईं वाते ज्यो मनक दरपे हे, वो मनक कदी भी पाको कोयने वे सके हे।
पण फरीसी क्यो, “यो तो हुगली आत्मा का हाकम की मदतऊँ हुगली आत्माने काडे़ हे।”
काँके ज्या आत्मा थाँने दिदी हे, वाँ थाँने पाच्छा दास बणाबा का वाते ने अन नेई दरपवा का वाते हे, पण वाँ आपाँने वींकी ओलाद बणाबा का वाते हे, जणीऊँ आपाँ “ओ बापू, ओ पापाँ” केन बलावा हा।
काँके परमेसर आपाँने दरपणी के बजाय तागत, परेम अन खुद ने बंस में राकबा की आत्मा दिदी हे।
अबे आपाँने एक अस्यो राज मलरियो हे, ज्यो हलायो ने जा सके हे, तो आवो, आपाँ दरपणी राकन परमेसर को आदर करता तका भगती का हाते धन्नेवाद देवा। जीं भगतीऊँ परमेसर राजी वे सके।
अन थूँ विस्वास करे हे के, एकीस परमेसर हे, तो ओ हव हे। पण ओ विस्वास तो हुगली आत्मा भी करे, अन वींके आगे धूजे हे।
परमेसर ने कणी भी कदी ने देक्या, पण जद्याँ आपाँ एक-दूजाऊँ परेम कराँ, तो परमेसर आपाँ में वास करी अन वींको परेम आपाँ में पाको वे जाई।