तो जद्याँ में क्यो के, मूँ परमेसर को बेटो हूँ। तो थाँ क्यो, ‘मूँ परमेसर की नन्दयाँ करूँ हूँ।’ पण मूँ तो वोईस हूँ, जिंने परमेसर चुणन ईं दनियाँ में खन्दायो हे।
मूँ सिलवानुस ने विस्वास जोगो भई जाणूँ हूँ अन वींकी मदतऊँ यो कागद लिकन थाँकी हिम्मत बड़ाणी छारियो हूँ अन आ गवई देरियो हूँ के, परमेसर की हाँची दया याईस हे। थाँ ईंमें पाका बण्या तका रेज्यो।
हाँचो परेम ओ ने हे के, आपाँ परमेसरऊँ परेम किदो, पण वो ओ हे के, परमेसर आपाऊँ परेम किदो अन आपणाँ पाप धोवा का वाते आपणाँ बेटा ने बलीदान वेवा का वाते खन्दा दिदो।
जद्याँ आपाँ मनकाँ की गवई ने माने हाँ, तद्याँ परमेसर की गवई का वाते कई केवा? काँके परमेसर की गवई तो मनकाँ की गवईऊँ मोटी हे। अन अणी गवई की मानता आ हे के, परमेसर आपणाँ बेटा का वाते गवई दिदी।