काँके मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, यद्याँ थाँकी धारमिकता मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ की भगतीऊँ मोटी ने वेई, तो थाँ हरग का राज में कदी ने जा सको।”
कई थाँ ने जाणो हो के, बुरा मनक परमेसर का राज का वारिस ने वेई? धोको मती खावो अन ने गलत वेवार करबावाळो बण, ने मूरताँ पूजो, ने कुकरम, ने मनक मनक का हाते हुगलो काम करे,
अन अबराम वींने वणा हाराई मूँ ज्यो युद में जीत्यो हो, वींको दसवो भाग दिदो। मलिकिसिदक का नाम को पेलो अरत हे के, “धारमिकता को राजा” अन वो सालेम को राजा हो, ईंको अरत हे, “सान्ती को राजा।”
अणीऊँ आपाँ में परेम पाको व्यो, ताँके न्याव का दन आपीं विस्वास में बण्या रेवा, काँके आपाँ दनियाँ में वस्यानीस जीवन जीवाँ हाँ, जस्यान को मसी जीवन जियो हो।