14 काँके आपाँ मोतऊँ निकळ अनंत जीवन पाबा का वाते आग्या हा। ईंके वजे आ हे के, आपाँ आपणाँ भायाँऊँ परेम करा हा। ज्यो भी मनक परेम ने करे, वो अबे भी मोत को गुलाम हे।
“मूँ थाँने सई-सई केवूँ हूँ, ज्यो मारा बचनाँ ने हुणन मारा खन्दाबावाळा को विस्वास करे हे, वो अनंत जीवन पावे हे। अन वाँने दण्ड ने दिदो जाई, पण वीं मोतऊँ छेटी वेन जीवन में परवेस करग्या हे।
आपाँ जाणा हाँ के, ईं धरती पे आपणी देह रूपी घर भगाड़ दिदो जाई पछे आपाँने परमेसर का आड़ीऊँ हरग में कदी नास ने वेबावाळो घर मली वो मनकाँ का हाताऊँ बणायो तको ने वेई।
अबे जद्याँ थाँ हाँच ने मानता तका, हाँचा भईचारा का परेम ने बताबा का वाते आपणी आत्माने पुवितर कर लिदी हे, ईं वाते थाँ एक-दूँजा में पुवितर मनऊँ परेम करबा की मनसा बणालो।
मारी आकरी मरजी हे के, थाँ हाराई मनक एक मन रेवो अन थाँ हाराई ने मनकाँ का हाते मेल-मिलाप, भईचारा, दया करबावाळा अन भायाँ का हाते परेम-भावऊँ रेबावाळा बणणो छावे।