काँके परमेसर क्यो हो के, “अन्दारा में उजितो चमकी” अन वोईस आपणाँ हरदा में चमक्यो हे, जणीऊँ आपाँने ईसू मसीऊँ परमेसर की मेमा का वाते ग्यान को उजितो मल सके।
काँके आपाँ मोतऊँ निकळ अनंत जीवन पाबा का वाते आग्या हा। ईंके वजे आ हे के, आपाँ आपणाँ भायाँऊँ परेम करा हा। ज्यो भी मनक परेम ने करे, वो अबे भी मोत को गुलाम हे।
ईं वजेऊँ आपाँ ओ जाण सका हाँ के, आपाँ हाँच मानाँ हाँ अन जद्याँ परमेसर का हामे जावा, तो आपणाँ मन में हिम्मत बड़ा सका। अन जद्याँ आपाँ परमेसर का हामे जावा तो आपाँने हरमा ने मरणो पड़े।
हो मारा प्यारा भायाँ, एक-दूजाऊँ परेम करो। काँके परेम परमेसर का आड़ीऊँ आवे हे अन ज्यो भी परेम करे, वो परमेसर का बेटा-बेटी बण जावे हे अन परमेसर ने जाणे हे।
तो वो अजगर वीं लुगई पे गुस्सा में आग्यो, अन वो वीं लुगई का वाँ मनकाँ पे जी परमेसर की आग्या मान्याँ करता हा अन ईसू मसी की गवई देता हा वाँकाऊँ लड़बा का वाते निकळग्यो।