में वाँकाऊँ क्यो, ‘रोमियाँ में अस्या रिति-रिवाज कोयने हे के, दोस लगाया तका मनक ने वाद-विवाद करन वींने बंचबा को मोको दिदा बनाई वींने दण्ड का वाते हूँप्यो जावे।’
अन यद्याँ कुई खुद ने परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो जाणे अन वींने आत्मिक वरदान भी मल्यो वे तो वींने ओ जाण लेणो छावे के, मूँ थाँने ज्यो कई भी लिकरियो हूँ, ओ परबू की आग्या हे।
ईं वाते थाँकाऊँ छेटी रेतो तका भी मूँ ईं बाताँ थाँका वाते लिकरियो हूँ जणीऊँ की जद्याँ मूँ थाँका नके आऊँ तो मने परबू का दिदा तका हक ने कल्डा रूप में काम ने लेणो पड़े। यो हक थाँने नाकबा का वाते ने हे, पण थाँने बणाबा का वाते हे।
ओ देकबा का वाते के, थाँ विस्वास का हाते जीरिया हो खुद ने परको। अन खुद की जाँच पड़ताल करो कई थाँ खुद ने जाणो के, ईसू मसी थाँका मयने हे। यद्याँ अस्यान ने वेतो तो थाँ जद्याँ परक्या ग्या हाँ तद्याँ खरा ने ने निकळता।
थाँ हाराई का वाते मने अस्याईस बच्यार राकणा हव हे, काँके थाँ हाराई मारा मन में बस्या तका हो। अन जद्याँ मूँ हाकळाऊँ बन्दयो तको हूँ अन हव हमच्यार ने साबत करबा अन पाको बणाबा में भी लागरियो हूँ, थाँ मारा हाते परमेसर की दिदी तकी अणीस करपा में भागी हो।