अन रोबा वाळा अस्या वे के, मानो वीं कदी दकी ने व्याई कोयने अन आणन्द करबावाळा अस्या वे मानो आणन्द ने करे, अन मोल लेबावाळा अस्या वे मानो वाँका नके कई ने हे।
ईं वाते मारी दानकी कस्यी हे? के जद्याँ हव हमच्यार को परच्यार करूँ तो बना दानकी लेन करूँ हूँ, ताँके हव हमच्यार को परच्यारऊँ ज्यो पाबा को मने अदिकार हे, मूँ वींने पूरो काम में ने लूँ।
पण थाँ तो यो भी ने जाणो के, काले थाँका जीवन में कई वेई। देको, थाँको जीवन कई हे? थाँ तो वीं धुंध के जस्यान हो, ज्या थोड़ीक देर का वाते दिके हे अन पाच्छी परी जावे हे।
काँके सास्तर में भी लिक्यो तको हे के, “हाराई मनक चारा के जस्यान हे, अन वाँको सजणो अन धजणो भी काकड़ का फुल का जस्यान हे। चारो हूक जावे हे अन फुल जड़ जावे हे।