25 कूँवारी लुगायाँ का बारा में परबू की कस्यी आग्या मने ने मली हे, पण विस्वास के जोगो वेबा का वाते ज्या दया परबू मारा पे किदी हे, वींके जस्यान मूँ थाँने सला दूँ हूँ।
अन आज मूँ ज्यो कई भी हूँ परमेसर की दयाऊँ हूँ अन वींकी दया मारा वाते बेकार ने गी। काँके में दूजाऊँ हेली मेनत किदी हे, पण परमेसर की दया मारा पे हे जणीऊँ मूँ अस्यान कर सक्यो हूँ।
पण यद्याँ थूँ ब्याव भी करे तो पाप ने हे अन यद्याँ कूँवारी को ब्याव वे तो भी कई पाप ने हे, पण अस्या मनक सरीर को दुक जेली अन मूँ अणाने बंचाणो छारियो हूँ।
अन ईं तरियाँ वाँका बच्यार बट जावे हे। पनी तकी अन कूँवारी में भी फरक हे, कूँवारी तो परबू की चन्ता करे हे के, वाँ देह अन आत्मा दुयाँ में पुवितर वे, पण पनी तकी दनियाँ की चन्ता करती रेवे हे के, आपणाँ धणी ने राजी राके।
परमेसर का बचनाँ को वोपार करबावाळा नरई मनक हे वीं आपणो नफो छावे हे पण माँ अस्यान ने हाँ। माँ तो परमेसर का आड़ीऊँ खन्दाया तका मनक का जस्यान मसी ने हाते लेन, हाँचऊँ बोला हाँ।