13 अन जणी लुगई पे वींको धणी विस्वास ने राके हे अन वींका हाते रेबाऊँ राजी हे, तो वाँ आपणाँ धणी ने ने छोड़े।
अन जदी कुई लुगई आपणाँ धणी ने छोड़ दे अन दूजाँ मनक का हाते नातो कर लेवे, तो वाँ कुकरम करे हे।”
दूँजा मनकाऊँ परबू ने पण मूँ केऊँ हूँ के, यद्याँ कणी भई की लुगई विस्वास ने राके अन वींका हाते रेबाऊँ राजी हे तो वो वींने ने छोड़े।
काँके अस्यो धणी ज्यो विस्वास ने राके हे, वो आपणी विस्वासी लुगई का मस परमेसर ने भावे हे अन अस्यी लुगई ज्या विस्वास ने राके हे, वाँ आपणी विस्वासी धणी का मस परमेसर ने भावे हे, ने तो थाँकी ओलाद असुद वेती, पण अबे तो वीं पुवितर हे।