1 वणा बाताँ का बारा में ज्यो थाँ लिकी हे, “कई ओ हव हे के, कुई मनक कणी लुगई का हाते वेवार ने राके?”
पण मूँ थाँने ओ केऊँ हूँ के, कूकरमऊँ बंचबा का वाते हरेक मनक के लुगई वेणी छावे अन हरेक लुगई के धणी वेणो छावे।
अबे मूँ बना ब्याव व्या वाँकाऊँ अन विदवा का वाते केणो छारियो हूँ के, यद्याँ वीं मारे जस्यान अकेला रेवे तो ओ बड़या हे।