थूँ वाँकी आक्याँ ने खोले अन वीं अंदाराऊँ उजिता का आड़ी, अन सेतान की सगतिऊँ परमेसर का आड़ी फरे ताँके वाँने पापाऊँ मापी मले अन परमेसर का चुण्या तका लोगाँ के हाते वीं भी बापोती में भेळा वेवे।’
मूँ ईं दरसण की वजेऊँ मोटो ने वे जऊँ, ईं वाते मारी देह में एक रोग दिदो ग्यो हे ज्यो सेतान को एक दूत हे अन ओ मने दुक देतो रेवे हे जणीऊँ मूँ घणो मेपणो ने कर सकूँ हूँ।
ईं वाते थाँकाऊँ छेटी रेतो तका भी मूँ ईं बाताँ थाँका वाते लिकरियो हूँ जणीऊँ की जद्याँ मूँ थाँका नके आऊँ तो मने परबू का दिदा तका हक ने कल्डा रूप में काम ने लेणो पड़े। यो हक थाँने नाकबा का वाते ने हे, पण थाँने बणाबा का वाते हे।
अन वीं दन की वाट नाळणी छावे, जीं दन परमेसर न्याव करी। वीं दन ने लाबा का वाते कोसीस करणी छावे। वीं दन के आताई आकास वादी की लपटाऊँ बळन नास वे जाई अन आकास की चिजाँ वादी की तपतऊँ पिगळ जाई।
जद्याँ कुई मनक खुद का भई ने अस्यान को पाप करतो देके, जिंको फळ अनंत मोत कोयने हे, पण वो परमेसरऊँ वींके वाते परातना करे तद्याँ परबू वींने मोत को दण्ड कोयने देई पण वाँकी परातना हुणन अनंत जीवन देई। पण मूँ वणा मनकाँ का वाते परातना करबा का वाते ने केऊँ, ज्यो अस्यान का पाप करे, जिंको फळ अनंत मोत हे।